00 शैक्षणिक पदों की भर्ती में नियमों का उल्लंघन, हाईकोर्ट में विचाराधीन याचिकाओं के बावजूद नियुक्तियाँ
00 निजी फर्मों और पीडब्ल्यूडी अधिकारी को अवैध तरीके से भुगतान का आरोप
00 बिना अनुमति विदेश यात्राएँ, फोटो वाले कैलेंडर, बैनर और सेमिनार पर खर्च
बिलासपुर। अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर में व्याप्त भ्रष्टाचार और भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी के मामले में एनएसयूआई प्रदेश सचिव रंजेश सिंह ने उच्च शिक्षा विभाग के सचिव एस. भारतीदासन से मुलाक़ात कर विश्वविद्यालय में चल रहे भ्रष्टाचार, आर्थिक अनियमितता, प्रशासनिक एवं वित्तीय कुप्रबंधन के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की माँग की है। उन्होंने कुलपति प्रो. ए.डी.एन. बाजपेयी, उप कुलसचिव एवं प्रभारी कुलसचिव शैलेन्द्र दुबे समेत कई अधिकारियों के ख़िलाफ़ जाँच और सख़्त कार्रवाई का ज्ञापन सौंपा है। रंजेश सिंह ने बताया कि वर्ष 2024-25 में विश्वविद्यालय की शैक्षणिक पदों पर भर्ती में आरक्षण नियमों का उल्लंघन हुआ है। अनुसूचित जाति एवं जनजाति के रिक्त पदों को भरा हुआ बताकर ग़लत आरक्षण रोस्टर तैयार किया गया और 14 जून 2024 को विज्ञापन, फिर 5 जुलाई 2024 को शुद्धिपत्र जारी किया गया। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में विचाराधीन रिट याचिकाओं के बावजूद आनन-फ़ानन में साक्षात्कार कर नियुक्ति की गई, जिसमें अपात्र अभ्यर्थियों को भी पात्र घोषित किया गया। इस पूरी भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के व्यापक आरोप लगे हैं।
00 बिना टेंडर निजी फर्म को करोड़ों का किया भुगतान
विश्वविद्यालय ने छत्तीसगढ़ भंडार क्रय नियमों का उल्लंघन करते हुए बिना टेंडर निजी फर्म एम.आई.सी.एस., भोपाल को करोड़ों रुपये का भुगतान किया है। उप कुलसचिव शैलेन्द्र दुबे ने कुलसचिव के पदनाम से फर्म को अनुबंध जारी किया, जिससे भ्रष्टाचार की आशंका बढ़ गई है। आई.यू.एम.एस. लागू करने के लिए भी नियमों का उल्लंघन कर मुंबई की फर्म को अवैध राशि 50लाख रूपये नियम विरूद्ध अग्रिम राशि दी गई ऑडिट आपत्ति बाद भी समायोजन नहीं किया गया, जिसे मोटे कमीशन की बात खुद ब खुद साबित होता हैं
इसके अलावा भ्रस्टाचार यही नहीं रुका फिर उसी दूसरे वेंडर कंपनी एमआईसीएस भोपाल को बिना निविदा बिना नियमानुसार प्रक्रिया किये नियमविरुद्ध दर में वृद्धि करते हुऐ टेंडर पुनः दे दी गयी आज तारिक तक बिना टेंडर किये करोड़ों रुपये का भुगतान हुआ है। पीडब्ल्यूडी बिलासपुर डिवीजन के अधिकारी को भी नियम विरुद्ध 39 लाख रुपये अग्रिम भुगतान किया गया है। विश्वविद्यालय ने बजट बनाने के लिए 2019 से अधिकारियों और कर्मचारियों को नियमों के ख़िलाफ़ अतिरिक्त मानदेय भी दिया, जबकि प्रदेश के अन्य किसी भी विश्वविद्यालयों में ऐसा नहीं किया गया है,
00 कुलपति ने विश्वविद्यालय के धन का किया दुरुपयोग
कुलपति प्रो. ए.डी.एन. बाजपेयी पर भी विश्वविद्यालय के धन का दुरुपयोग करने के आरोप लगे हैं। बताया गया है कि वे देश-विदेश में बिना अनुमति यात्रा करते हैं, अपने प्रचार के लिए अनावश्यक सेमिनार, वर्कशॉप आयोजित करते हैं और ख़ुद के फोटो वाले कैलेंडर और बैनर लगवाते हैं। विश्वविद्यालय की संपत्तियों का भी निजी उपयोग करने के आरोप लगे हैं। शैलेन्द्र दुबे की नियम विरुद्ध उप कुलसचिव पद पर पदोन्नति भी विवादित है। शिकायत के बाद भी जाँच नहीं हुई और उन्होंने नियमों के ख़िलाफ़ कुलसचिव पद का प्रभार संभाला, जबकि इसके लिए योग्यता नहीं रखते। उन्होंने कुलसचिव के पदनाम से बिना ‘प्रभारी’ लिखे अवैध रूप से प्रशासनिक व वित्तीय कार्य किए।
00 सचिव ने समिति गठित कर जांच करने का दिया निर्देश
रंजेश सिंह ने उच्च शिक्षा विभाग के सचिव से माँग की है कि इस पूरे मामले की शीघ्र जाँच हो, जाँच के दौरान शैलेन्द्र दुबे को निलंबित किया जाए, कुलपति प्रो. बाजपेयी को विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत हटाया जाए, ग़लत पदोन्नति निरस्त की जाए और नियमित कुलसचिव की नियुक्ति की जाए। उन्होंने दोषी अधिकारियों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कर कड़ी कार्रवाई करने की भी माँग की। उच्च शिक्षा विभाग के सचिव ने जाँच के लिए शासन स्तर पर समिति गठित करने और दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।
इसके अलावा माननीय राज्यपल महोदय जी से भी जल्द मुलाकात कर सारी बातो से अवगत कराने और समन्धित समस्त दस्तावेज सौपने की बात रंजेश सिंह ने कहीl