जंगलों से इमारती लकड़ी तस्करी करने वालों ने 21 वनरक्षकों की हत्या की नक्सलियों ने 10 को मारा,पांच राज्य के वन तस्कर काट रहे जंगल
छत्तीसगढ़ के साथ ओडिसा,आंध्रा,महाराष्ट्र और झारखंड के वनमाफिया काट रहे जंगल
छत्तीसगढ़ के साल,सीसम और सराई का इंटरनेशनल मार्केट में मांग पांच राज्य के तस्कर सक्रिय
शहीदों का दर्जा, दिल्ली अमर शहीद जवान की तर्ज पर बिलासा ताल में बना स्मारक
बिलासपुर – जंगलों की रक्षा करने वाले वनरक्षकों को जंगली जानवारों से नहीं बल्कि इमारती लकडिय़ों की तस्करी करने वाले वन माफियाओं से अधिक खतरा है। 33 साल में ड्यूटी के दौरान 34 वनरक्षकों की हत्या हुई है। इसमें 1 को भालू, 2 को हाथी तो वहीं 10 को नक्सलियों ने मारा है। जबकि सबसे ज्यादा 21 वनरक्षकों की हत्या वन माफिया ने कर दी है। प्रदेश भर के जंगलों में ड्यूटी के दौरान जिन वनरक्षकों की मौत हुई उन्हें अब विभाग ने शहीद का दर्ज दिया है। विभाग से मिले आंकड़ों से यह खुलासा हुआ कि जंगलों में वन संसाधनों और वन्यप्राणियों के रक्षा में लगे वनरक्षकों को जंगली जानवरों के बजाए तस्करों से ज्यादा खतरा बना हुआ है। इसके बाद भी वन विभाग इन वनरक्षकों की सुरक्षा के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं कर पाई है। प्रदेश में सबसे पहले 16 जनवरी 1987 में बिलासपुर जिले के मरवाही के जंगल में वनपाल अशरफी लाल श्रीवास्तव की हत्या वनमाफिया द्वारा की गई थी। इसके बाद से लगातार 34 वनपाल,वनरक्षक,परियोजना अधिकारी,वनक्षेत्रपाल और उपवनक्षेत्रपाल की हत्या हो चूकी है। अंतिम हत्या 11 नवंबर 2020 को बीजापुर में वनक्षेत्रपाल रथराम पटेल की हत्या नक्सलियों ने की थी। जबकि 20 फरवरी 2017 को धरमजयगढ़ वनक्षेत्रपाल दौलत राम लदेर की हत्या वन माफिया द्वारा की गई।
इन वनरक्षकों की हत्या वन माफिया ने की वनमंडल मरवाही में अशरफी लाल श्रीवास्तव, कांकेर वनमंडल के मदन सिंह परिहार, बलीराम टंडन गणपति, सुकमा में विजय कुमार साहू,राजनंदगांव के देशभक्त दास मांगरे, जगदीश राम कुमेटी, सुखदेव राम नेताम, बालोद के सुरेश कुमार राव, चुन्नीलाल साहू, मनेश्वर यादव, रामजी वर्मा, सुरज सिंह, मरवाही के भूमाफिया ने केपी गौतम, जशपुर के बुधराम भगत, रायगढ़ के मेहत्तर सिंह डनसेना, बिलासपुर के शिव कुमार कौशिक,गरियाबंद के मार्क ताण्डी, जशपुर के वीरेंद्र कुमार तिवारी, सूरजपुर के मोतीलाल कुशवाहा और धरमजयगढ़ के दौलत राम लदेर की हत्या वनमाफियाओं ने कर दी है।
वनमंडल मरवाही में अशरफी लाल श्रीवास्तव, कांकेर वनमंडल के मदन सिंह परिहार, बलीराम टंडन गणपति, सुकमा में विजय कुमार साहू,राजनंदगांव के देशभक्त दास मांगरे, जगदीश राम कुमेटी, सुखदेव राम नेताम, बालोद के सुरेश कुमार राव, चुन्नीलाल साहू, मनेश्वर यादव, रामजी वर्मा, सुरज सिंह, मरवाही के भूमाफिया ने केपी गौतम, जशपुर के बुधराम भगत, रायगढ़ के मेहत्तर सिंह डनसेना, बिलासपुर के शिव कुमार कौशिक,गरियाबंद के मार्क ताण्डी, जशपुर के वीरेंद्र कुमार तिवारी, सूरजपुर के मोतीलाल कुशवाहा और धरमजयगढ़ के दौलत राम लदेर की हत्या वनमाफियाओं ने कर दी है।
इन्हें नक्सलियों ने ड्यूटी के दौरान मार दिया
जंगलों की सुरक्षा में लगे वनरक्षकों को केवल वन माफिया से ही नहीं नक्सलियों से भी खतरा बना हुआ है। ड्यूटी के दौरान १० वनरक्षकों को नक्सिलियों ने भी मारा है। इसमें सुकमा के वनपाल हरिबंधु, वनरक्षक रामेश्वर पांडे, सरगुजा के वनरक्षक रामजी राम जायसवाल, वीरेंद्र कुमार सिन्हा,बीजापुर के वनपाल व्हीपी शास्त्री,अंगन्न पल्लू पांडू, राजनांदगांव के परियोजना अधिकारी अशोक कुमार आचार्य, सुकमा के जगदीश चंद्र मरकाम, बीजापुर के रथराम पटेल और गरियाबंद के वनपाल मधुसुदन पाटिल को नक्सलियों ने गोलीमार कर हत्या कर दी।
33 साल में केवल 2 को हाथी और 1 को भालू ने मारा–
वन विभाग से मिले आंकड़ों की माने तो पिछले 33 साल में ड्यूटी के दौरान केवल तीन वन रक्षकों को जंगल में ड्यूटी के दौरान वन्यजीव ने हमला कर मारा है। इसमें २ को हाथी ने मारा है। जिसमें कोरिया के उपवनक्षेत्रपाल सीताराम तिवारी और धरमजयगढ़ के वनरक्षक मुकेश पाण्डेय शामिल है। इसी तरह केवल एक महासमुंद के उपवनक्षेत्रपाल केडी साहिल की मौत ड्यूटी के दौरान भालू के हमले से हुई है।
छ.ग. के सागौन,सराई की विदेशी बाजारों में मांग –
छत्तीसगढ़ में जो इमारती वन है इसकी मांग विदेशी बाजारों में भी है। यहां सबसे बेहतर क्वालिटी के सराई के वृक्ष है। यहां के जंगलों में इसकी बहुतायात है। पानी में ये इसकी लकड़ी खराब भी नहीं होती है। अंग्रेज जब भारत में आए तो छत्तीसगढ़ में रेल लाइन विस्तार के लिए यहां के सराई के लकडिय़ों का ही उपयोग करते इसके बड़े बड़े सिल्पट पर लोहे की लाइन बिछाई जाती थी। इसी तरह यहां के सागौन और सिसम के लकड़ी की मांग फर्नीचर बनाने के लिए उपयोग में आती है। जिसकी मांग विदेशी बाजारों में भी है।
पांच राज्य के वन तस्कर काट रहे जंगल
छत्तीसगढ़ के साथ ही यहां के जंगल में अन्य चार राज्य के भी वन माफिया सक्रिय है। मध्यप्रदेश, ओडिसा, आंध्रप्रदेश और झारखंड के वन माफिया यहां बार्डर से लगे हुए जंगलों में घुसकर इमारती लकडिय़ों की तस्करी करते है। जंगल के अंदरूनी हिस्सों में नक्सलियों से सांठ-गांठ कर बड़े पैमाने पर इमारती लकडिय़ां काटी जाती है। जिसके चलते छत्तीसगढ़ के जंगलों से तेजी से जंगलों की कटाई हो रही है। जो अफसर इनके काम का विरोध करते है उन्हें ये वन माफिया या नक्सली जान से मार देते है।
वनमाफियाओं के हाथों मारे गए कर्मचारी की याद में स्मारक
ड्यूटी के दौरान वन माफियाओं, वन्यजीव और नक्सली द्वारा मारे गए वनकर्मियों को शहीद का दर्ज देते हुए। वनकर्मचारी संघ ने इनकी याद में राजधानी दिल्ली की तर्ज पर बिलासपुर के कोनी मार्ग पर स्थित वन विभाग के बिलासा ताल में एक शहीद स्मारक बनवा रही है – जितेंद्र साहू, डिप्टी रेंजर वन वनमंडल बिलासपुर।